पार्टी का सिद्धांत
राष्ट्र निर्माण पार्टी का ध्येय वाक्य है ‘ राष्ट्र हित सर्वोपरि ‘। इसका अभिप्राय है कि हमारी पार्टी और भावी सरकार जो भी निर्णय लेगी वे व्यक्ति,समाज ,पार्टी ,मत -पंन्थ ,जाति , क्षेत्र आदि के हितों से ऊपर उठकर केवल राष्ट्र हित में किये जायेंगे। सभी निर्णय समानता के सिद्धान्त पर किये जायेंगे। उदाहरण के लिये यदि गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति दी जानी है तो वे छात्र जो गरीबी रेखा में आते हों ,सभी को छात्रवृत्ति दी जायेगी।जाति ,धर्म या क्षेत्र विशेष के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव या पक्षपात किसी के साथ नहीं किया जायेगा।सारे नीतिगत निर्णय इसी प्रकार बिना किसी भेदभाव या पक्षपात के किये जायेंगे।
देश की सीमाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जायेगी।जिससे कारगिल या गलवान क्षेत्र में हुई घुसपैठ जैसी घटनायें घटित न हो सकें। साथ ही विदेशी नागरिक अवैध रुप से प्रवेश न कर सकें। सीमाओं की सुरक्षा के लिये सीमान्त क्षेत्रों का पूर्ण विकास , आधुनिक अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित सेना तथा आधुनिक पुलिस बल सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे।
राष्ट्र निर्माण पार्टी यह भी संकल्प करती है कि पाकिस्तान और चीन द्वारा अनधिकृत रूप से कब्जाये गये भारतीय भूभाग को मुक्त कराया जायेगा। तिब्बत की स्वतन्त्रता के लिये तिब्बतियों द्वारा किये जा रहे आन्दोलन को सहयोग एवं समर्थन दिया जायेगा। साथ ही हांगकांग के नागरिकों द्वारा लोकतन्त्र की बहाली के लिये किये जा रहे आन्दोलन का हमारी पार्टी समर्थन करती है।
आतंकवाद के विरुद्ध देश और विदेश में चल रहे संघर्ष में राष्ट्र निर्माण पार्टी व उसकी भावी सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। आतंकवाद के नासूर को जड से समाप्त करने के लिये प्रभावी कार्यवाही करेगी।

राष्ट्र निर्माण पार्टी की प्रासंगिकता
इस समय देश मेंअनेक राष्ट्रीय पार्टियां तथा सैकडों क्षेत्रीय पार्टियां कार्यरत हैं।ऐसी स्थिति में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि इतनी पार्टियों की भीड होते हुये भी एक नयी पार्टी के गठन की क्या आवश्यकता है? अधिकांशतः सभी राजनैतिक पार्टियां देश के त्वरित आर्थिक विकास को केन्द्र में रखकर अपनी योजनायें बनाती हैं। राजमार्ग, हवाई अड्डे , बडे बडे पुल , कारखाने, फैक्ट्रियां , कम्युनिकेशन ,ट्रांसपोर्ट ,कम्प्यूटर ,बैंकिंग सेक्टर ,सैटलाइट्स आदि का निर्माण एवं विकास आर्थिक गतिविधियों के विस्तारण एवं सशक्तीकरण के लिये किया जाता है।सभी पार्टियों की शासन व्यवस्थायें इस विषय पर प्रायः एकमत हैं।हो सकता है वे किसी जाति विशेष को या मत -पन्थ विशेष को शासन की नीतियों में प्राथमिकता देते हों, पर सारी नीतियों का केन्द्र बिन्दु आर्थिक विकास ही रहता है।उनका चिन्तन अर्थ से प्रारम्भ होकर अर्थ पर ही समाप्त होता है।दूसरे शब्दों में ये सारी पार्टियां शुद्ध रूप से भौतिकवादी या भोगवादी चिन्तन का ही प्रतिनिधित्व करती हैं।कहने को कम्युनिष्ट पार्टी की राजनैतिक विचारधारा साम्यवादी व्यवस्था पर आधारित है, जब कि भाजपा व कांग्रेस पूंजीवाद व समाजवाद के बीच में झूल रहे हैँ।ये सभी पार्टियां वैचारिक रूप से एक दूसरे के घोर विरोधी दिखायी देते हुये भी धरातल पर एक ही जगह खडी हैं।क्योंकि इन सबका चिन्तन अर्थ या भौतिकता पर ही केन्द्रित रहता है। राष्ट्र निर्माण पार्टी आर्थिक विकास को आवश्यक मानते हुये भी ‘ मानव केन्द्रित विकास ‘ को प्राथमिकता देती है।